तर्ज:- फूल तुम्है भेजा है खत में
श्याम मुझे अब ना तरसाओ एक झलक दिखला जाओ,क्यों तुम मुझसे रूस के बैठे आके मुझे बतला जाओ,
खुशियों की बरखा ना बरषे गम के बादल मंडराए,सूनी है जीवन की बगियां कुछ भी समझ मे ना आए,सूनेपन को दूर भगाओ मन में आश जगा जाओ।।
श्याम मुझे अब ना तरसाओ एक झलक दिखला जाओ,क्यों तुम मुझसे रूस के बैठे आके मुझे बतला जाओ,
उलझ गया हूं कुछ नही सूझे कैसे तुम्हे समझा पाऊं,दिल मे गहरे घाव भरे है किसको मै दिखला पाऊं,एक सहारा तुम हो बाबा मरहम आके लगा जाओ।।
श्याम मुझे अब ना तरसाओ एक झलक दिखला जाओ,क्यों तुम मुझसे रूस के बैठे आके मुझे बतला जाओ,
ऐसी क्या जो गलती हुइ है इस नालायक बालक से,मै तो केवल कह सकता हूं अपने प्यारे पालक से,कोई करिश्मा कर दो बाबा आकर धीर बंधा जाओ।।
श्याम मुझे अब ना तरसाओ एक झलक दिखला जाओ,क्यों तुम मुझसे रूस के बैठे आके मुझे बतला जाओ,