आई जब से दर मैं तेरे मेरे घर में है आनंद माँ
दुःख दर्द का खेल तमाशा हो गे ही बिलकुल बंद माँ
आई जब से दर मैं तेरे मेरे घर में है आनंद माँ……….
घर तूने मंदिर बना दिया ओ माता रानी हमारा है
हर कोई चैन से रेहता है ये आशीर्वाद तुम्हारा है,
हो गई चचडा जब से चरणों से समबंद माँ।
आई जब से दर मैं तेरे मेरे घर में है आनंद माँ………
जब से मेरे घर मेंवर दाती जलती तेरे नाम की ज्योति है
हर मोसम में मेरे आंगन में सुख की वर्षा होती है
हो मुस्किल और वदाओ का तूने काट दिया है फंद माँ
आई जब से दर मैं तेरे मेरे घर में है आनंद माँ……..
हीरे पने पूखराज तेरे कदमो में बड़े सुहाते है तेरी शान है उची महारानी।
शेह्जा भी शीश जुकाते है चरणों से लगाये रखना यु किरपा करके अखंड माँ
आई जब से दर मैं तेरे मेरे घर में है आनंद माँ…..
आई जब से दर मैं तेरे मेरे घर में है आनंद माँ
दुःख दर्द का खेल तमाशा हो गे ही बिलकुल बंद माँ
आई जब से दर मैं तेरे मेरे घर में है आनंद माँ……….