तर्ज,ये गोटेदार लहंगा
एक लहरी दार चुनरी माथे पे डाल के।भोला बन जाओ भोली घूँघट निकाल के।
एक लहरी दार चुनरी माथे पे डाल के
भोला बन जाओ भोली घूँघट निकाल के -२
कानो वाला बिछवा ,गले सर्प की माला
गले सर्प की माला।कहाँ छुपा के रखोगे ज़हरीला नाग ये काला, काला
इन सब को रखना पिया झोली में डाल के -२
भोला बन जाओ भोली घूँघट निकाल के -२
एक लहरी दार चुनरी माथे पे डाल के
भोला बन जाओ भोली घूँघट निकाल के -२
सब तो छिपा है कहाँ छिपेगा
गंगा जी का पानी ,गंगा जी का पानी।
मर्दानी आवाज़ पिया तुम कैसे करो जनानी -२
पकड़े ना जाओ कहीं मर्दानी चाल पे -२
भोला बन जाओ भोली घूँघट निकाल के -२
एक लहरी दार चुनरी माथे पे डाल के
भोला बन जाओ भोली घूँघट निकाल के -२
पकड़ कलाई ली कान्हा ने
भोले नाथ मुसकाए ,भोले नाथ मुसकाए
सब तो आए बिन घूँघट के
घूँघट में क्यों आए ,घूँघट में क्यों आए,
पाले पड़े हो पिया आज नंदलाल के -२
भोला बन जाओ भोली घूँघट निकाल के -२
एक लहरी दार चुनरी माथे पे डाल के
भोला बन जाओ भोली घूँघट निकाल के -२
घूँघट पलट दिया नटखट ने
भोले नाथ मुसकाए ,भोले नाथ मुसकाए,
उसी समय से भोले शंकर गोपेस्वर कहलाये
गोपेस्वर कहलाये।
गीत हैं कवि के पर शब्द हैं कमाल के -२
भोला बन जाओ भोली घूँघट निकाल के -२
एक लहरी दार चुनरी माथे पे डाल के
भोला बन जाओ भोली घूँघट निकाल के -२