ऐसी लागी रे लगन, भटके रे वन वन बृजबाला, कित खो गयो मुरली वाला।।
सखी नैनो से नेह लगा के, ऐसी दिल में प्रीत जगाके।लागी तन में अगन, संग ले गया मन नंदलाला, कित खो गयो मुरली वाला।।
ऐसी लागी रे लगन, भटके रे वन वन बृजबाला, कित खो गयो मुरली वाला।।
सखी लागे ना जिया संसार में, भई पागल कन्हैया के प्यार में, मोहे याद सताए, नींद आंखों के उड़ाए बंसीवाला, कित खो गया मुरली वाला।।
ऐसी लागी रे लगन, भटके रे वन वन बृजबाला, कित खो गयो मुरली वाला।।
कैसे कान्हा की याद भुलाऊं रे, कैसे मन को धीर बंधाऊं रे, तान दिल में समाए, ऐसी मुरली बजाए गोपाला कित खो गयो मुरली वाला।।
ऐसी लागि रे लगन, भटके रे वन वन बृजबाला, कित खो गयो मुरली वाला।।