ले हाथ ढाल तलवार,
मुठ मजबूती,
धर दे चामुंडा,
राजपूतो में मजबूती ।
मुगलो की फौज,
मेवाड़ देश चढ़ आई,
गढ़ गेर लिया चित्तोड़,
घटा सु छाई ।
मुगलो की जिसने,
दे डाली आहुत,
धर दे चामुंडा,
राजपूतो में मजबूती ।
हल्दी घाटी में जो,
तलवार चला,
गीतामा हो तुम्हारी,
जगदम्बा मन माई ।
स्वाहुवा गोर कम,
साणी चड़िबा रोक,
बिजली ज्यू चमके,
तेज खनक बा लागी ।
इण मारवाड़ में बलियारी,
आ धरती सूरा वीरा री ।
एक समय में,
पृथ्वीराज खांडा खड़काया,
आखियो से अँधा,
फिर भी बाण चलाया ।
अब सुणलो धरकर ध्यान,
सुनाऊ कहान,
ओ धरती पर किना,
नाम झांसी की रानी ।
अब याद हमें,
महाराज की आती है,
आखियो से नदिया,
नीर धीर बहती है ।
सारा पेहली,
मात मनाऊ आजा,
सुते सेरो को,
फिर से आन जगा जा ।
भक्ति मंडल,
प्रस्तुति करता तेरी,
तुम सहाय करो,
जगदम्बा मात माई ।
ले हाथ ढाल तलवार,
मुठ मजबूती,
धर दे चामुंडा,
राजपूतो में मजबूती ।