तर्ज,अंखियों के झरोखे से
जीवन की घड़ियों में कोई ऐसा भी पल आए।जब श्याम निकट आए,चरणों से लिपट जाए।
इस मन के भावों को बस तुम ही समझते हो।ये मन मेरा है जाए,मन सोच के घबराए।
में तो तुम्हारे द्वार पे बस आता रहा हूं।इस दर को बोलो छोड़ के और कहां जाऊं।🌺🌺🌺🌺🌺एकबार जो आ जाओ तड़पन मेरी मिट जाए।।जब श्याम निकट आए,चरणों से लिपट जाए।
जीवन की घड़ियों में कोई ऐसा भी पल आए।जब श्याम निकट आए,चरणों से लिपट जाए।
तुम्हे पाने की खातिर प्रभु ये जीवन मिला है।जन्मों की चाहतों का इतना ही सिला है।🌺🌺पथराई मेरी अंखियां राह तकती ना रह जाए।।जब श्याम निकट आए,चरणों से लिपट जाए।
जीवन की घड़ियों में कोई ऐसा भी पल आए।जब श्याम निकट आए,चरणों से लिपट जाए।
मेरा बस चले तो सांवरे में दौड़ा चला आऊं।जी भरके में देखूं तुम्हे,खाटू में ही बस जाऊं।🌺🌺तेरी श्याम बगीची का ये फूल ना मुरझाए।।जब श्याम निकट आए,चरणों से लिपट जाए।
जीवन की घड़ियों में कोई ऐसा भी पल आए।जब श्याम निकट आए,चरणों से लिपट जाए।
एकबार तो आओगे प्रभु विश्वास ये मेरा है।दर्शन बिना इस दास के जीवन में अंधेरा है।🌺🌺🌺आ भी जाओ सांवरिया कहीं दम ना निकल जाए।।जब श्याम निकट आए,चरणों से लिपट जाए।
जीवन की घड़ियों में कोई ऐसा भी पल आए।जब श्याम निकट आए,चरणों से लिपट जाए।