तर्ज, दो दो गुजरिया के बीच में
सो सो शूरमा के बिच में ,
अकेलो बालाजी।
अकेलो बालाजी ,
बाली लंका रावण की।
रामचंद्र सु आज्ञा पाकर ,
लंका गढ़ में जावे।
सीताजी रो पतों लगाकर ,
वो उत्पात मचावे।
सो सो शूरमा के बिच में ,
अकेलो बालाजी। टेर।
मेघनाद जद नागपाश में ,
बांध सभा में लावे।
रावण के दरबार में बाला ,
मंद मंद मुसकावे।
सो सो शूरमा के बिच में ,
अकेलो बालाजी। टेर।
बड़ा बड़ा ए शूरवीर तब ,
रावण ने समझावे।
शीश काट लो रामदूत रो ,
तलवारा चमकावे।
सो सो शूरमा के बिच में ,
अकेलो बालाजी। टेर।
जयकारो कर राम नाम रो ,
बजरंग बाला बोले।
सुण ले रावण बात हमारी ,
काळ शीश पर डोले।
सो सो शूरमा के बिच में ,
अकेलो बालाजी। टेर।
अभिमानी रावण के तब भी ,
बात समझ नहीं आई।
लंका नगरी बजरंग जारी ,
हरखी सीता माई।
सो सो शूरमा के बिच में ,
अकेलो बालाजी। टेर।
रामदूत बजरंग बलि ने ,
दास अशोक सुनावे।
निज चरणा में चाकर राखो ,
चरणा में सुख पावे।
सो सो शूरमा के बिच में ,
अकेलो बालाजी। टेर।
सो सो शूरमा के बिच में ,
अकेलो बालाजी।
अकेलो बालाजी ,
बाली लंका रावण की।