तर्ज – पालकी में होके सवार
दरबार में सरकार के, नाचेंगे हम छम छम, छम छम छम, फागण का आया, त्यौहार सांवरे, हमको भी बुलाले, तेरे द्वार सांवरे ।।
आँखों में तेरे, सपने है आए, दिल ये मिलन को, बस धड़का जाएए, मन के मन्दिर में मेरे, गूंजे जयकारे तेरे, फागन का आया, त्यौहार सांवरे, हमको भी बुलाले, तेरे द्वार सांवरे ।।
रुत ये बसंती, पुरवाई आई, लगता है तेरा, संदेसा लाई, हिचकी पे हिचकी आए, याद तुम्हारी तडपाए, फागन का आया, त्यौहार सांवरे, हमको भी बुलाले, तेरे द्वार सांवरे ।।
रंगो भरा ये, त्यौहार आया, अपने ही रंग रंग, ‘गोलू’ की काया, मनगरिया ओ मनबसिया, तुम हो फागण के रसिया, फागन का आया, त्यौहार सांवरे, हमको भी बुलाले, तेरे द्वार सांवरे ।।
दरबार में सरकार के, नाचेंगे हम छम छम, छम छम छम, फागण का आया, त्यौहार सांवरे, हमको भी बुलाले, तेरे द्वार सांवरे ।।