तर्ज लक्ष्मण सा भाई हो
नगरी हो वृन्दावन सी, गोकुल सा घराना हो। चरण हो माधव के, जहाँ मेरा ठिकाना हो। माँ यशोदा सी मैया हो, दाऊ जैसा भैया हो। नन्द बाबा की सदा, मेरे सर पर छड़यां हो।।
गउओं की टोली हो, ग्वालों का साथ मिले। ब्रज की हो गलियां, मनमोहक उपवन खिलें। हो त्याग देवकी सा, वासुदेव सी शक्ति हो। उद्धव के जैसे, निष्ठां और भक्ति हो।
राधा का प्रेम मिले, गोपियों का रास मिले। नाचे ये धरती,गाता आकाश मिले। यमुना का किनारा हो,निर्मल जल धरा हो।भगवन दरस मुझे,हर रोज़ तुम्हारा हो।
मेरी जीवन नइया हो, हर नाम खिवैया हो। मुरलीधर जैसा, मेरा पार लगैया हो। नगरी हों वृन्दावन सी, गोकुल सा घराना हो। चरण हो माधव के, जहाँ मेरा ठिकाना हो ।।
नगरी हो वृन्दावन सी, गोकुल सा घराना हो, चरण हो माधव के, जहाँ मेरा ठिकाना हो, माँ यशोदा सी मैया हो, दाऊ जैसा भैया हो, नन्द बाबा की सदा, मेरे सर पर छइयां हो ।।