है सिर पे मुकुट, कंठ वैजन्ती माला, कहाँ जा छुपा है, मेरा मुरली वाला।।
तू आंखों में मेरी,सदा बस रहा है, मेरा मुरली वाला ।।
तू धड़कन है दिल में, सदा बज रहा है,है आंखों का मेरी,तू ही एक उजाला,कहाँ जा छुपा है,मेरा मुरली वाला।।
मैं सोया करूँ तो,दिखे तो है तू है,
मैं जागा करूँ तो,लगे तो ही तू है, है सपनो में मेरे,तू ही आने वाला, कहाँ जा छुपा है, मेरा मुरली वाला।।
रे तुझको बुलाते है, पर क्यो न आता, अरे प्यास नैनो की, क्यो न बुझाता। ये ‘राजेन्द्र’ सुनता था, तू है दयाला, कहाँ जा छुपा है, मेरा मुरली वाला।
है सिर पे मुकुट, कंठ वैजन्ती माला, कहाँ जा छुपा है, मेरा मुरली वाला।।