गौरा ढुढ रही पर्वत पर,शिव को पति बनाने को।
ना चाहिए मुझे माथे का टिकला, माँग सजाने को।ना चाहिए मुझे कानो की झुमकी,कान सजाने को
मुझे तो चाहिए तुलसी की माला हरी गुण गाने को।
गोरा ढुढ रही पर्वत पर, शिव को पति बनाने को।
ना चाहिए मुझे नाक की नथनी, नाक सजाने को।
ना चाहिए मुझे गले का हरवा, गला सजाने को।
मुझे तो चाहिए तुलसी की माला, हरि गुण गाने को,
गोरा ढुढ रही पर्वत पर, शिव को पति बनाने को।
ना चाहिए मुझे हाथो के कंगना, हाथ सजाने को
ना चाहिए मुझे कमर की तगडी़,कमर सजाने को
मुझे तो चाहिए तुलसी की माला हरी गुण गाने को।
गोरा ढुढ रही पर्वत पर शिव को पति बनाने को।
ना चाहिए मुझे पेरो की पामल पाँव सजाने को
ना चाहिए मुझे पेरो के कड़ले, पेर हजाने को।
मुझे तो चाहिए तुलसी की माला हरी गुण गाने को,
गोरा ढुढ रही पर्वत पर, शिव को पति बनाने को।
ना चाहिए मुझे महल हवेली,अंगना सजाने को
ना चाहिए मुझे मंहगी साडी़,अंग सजाने को
मुझे तो चाहिए गोटे की चुनड़ी,सुहाग बढाने को
गोरा ढुढ रही पर्वत पर, शिव को पति बनाने को।
ना चाहिए मुझे लड्डू पेडे, भुख मिटाने को
मुझे तो चाहिए सब्जी रोटी,भुख मिटाने को।गोरा ढुढ रही पर्वत पर शिव को पति बनाने को गोरा ढुढ रही पर्वत पर शिव को पति बनाने को।