ओ सावरा कई पड़ गयो चाकरी में चूक निंद्रा से हरी क्यूं जागिया।
ओ राधा जानो जानो नगर अंजार,नगर अंजार,नानी बाई रो भरनो मायरो।
ओ सावरा कई पड़ गयो चाकरी में चूक निंद्रा से हरी क्यूं जागिया।
ओ राधा नानी बाई रे, जामन जाया कोनी वीर, मां का जाया वीर, कुंन ल्यासी उन रो मायरो।
ओ सावरा कई पड़ गयो चाकरी में चूक निंद्रा से हरी क्यूं जागिया।
ओ सावरा महे भी चाला नगर अंजार,नगर अंजार,नानी बाई रो भरनो मायरो।
ओ सावरा कई पड़ गयो चाकरी में चूक निंद्रा से हरी क्यूं जागिया।
ओ सावरा देस्यूं देस्यू म्हारे गले माही रो हार,गले माही रो हार, चीटूडी देस्यु मुंदड़ी।
ओ सावरा कई पड़ गयो चाकरी में चूक निंद्रा से हरी क्यूं जागिया।
ओ सावरा थे ही म्हारा धरमिया रा वीर,धरमिया रा वीर,नानी बाई रो भरस्युं मायरो।
ओ सावरा कई पड़ गयो चाकरी में चूक निंद्रा से हरी क्यूं जागिया।
ओ सावरा कई पड़ गयो चाकरी में चूक निंद्रा से हरी क्यूं जागिया।