रुखो सुखो भावै नहीं भावै थाने माल
प्रेम सै जिमाऊँ थाने,आओ नन्दलाल
आओ नन्दलाल म्हारा मदन गोपाल
प्रेम सै जिमाऊँ थाने,आओ नन्दलाल..
आदत थाने पड़ी खोड्ली, गटका थाने आवै….
घर को थाने कदे न भायो,पर घर जाकर खावै
पर म्हार घरां क्यूँ नहीं आया,बोलो जी गोपाल
प्रेम सै जिमाऊँ थाने,आओ नन्दलाल।
रुखो सुखो भावै नहीं भावै थाने माल
प्रेम सै जिमाऊँ थाने,आओ नन्दलाल
आओ नन्दलाल म्हारा मदन गोपाल
प्रेम सै जिमाऊँ थाने,आओ नन्दलाल..
घट-घट की थे जाणो बाबा,जाणो म्हारा हाल….
थारे पाण म्हारी गाडी चालै, खावां रोटी दाल….
जो म्हें जीमा थाने जीमावां,पहली थारी मनुवार
प्रेम सै जिमाऊँ थाने,आओ नन्दलाल।
रुखो सुखो भावै नहीं भावै थाने माल
प्रेम सै जिमाऊँ थाने,आओ नन्दलाल
आओ नन्दलाल म्हारा मदन गोपाल
प्रेम सै जिमाऊँ थाने,आओ नन्दलाल..
शबरी क घर जुठो खाया,खाया बिदुर को साग
सुदामा का तंदुल भाया, म्हासुं के बैराग
करमा सो खीचड़ खुवावां, घी चुटियो दाल
प्रेम सै जिमाऊँ थाने, आओ नन्दलाल।
रुखो सुखो भावै नहीं भावै थाने माल
प्रेम सै जिमाऊँ थाने,आओ नन्दलाल
आओ नन्दलाल म्हारा मदन गोपाल
प्रेम सै जिमाऊँ थाने,आओ नन्दलाल..
प्रेम को भूखो श्याम कन्हियो,प्रेम झठे यो जावै
‘टीकम’ इ स हेत लगाल्यो, बिना बुलाया आवै
प्रेम भाव स म्हे भी ल्याया,आरोगो दयाल…..
प्रेम सै जिमाऊँ थाने,आओ नन्दलाल।
रुखो सुखो भावै नहीं भावै थाने माल
प्रेम सै जिमाऊँ थाने,आओ नन्दलाल
आओ नन्दलाल म्हारा मदन गोपाल
प्रेम सै जिमाऊँ थाने,आओ नन्दलाल..