फागुन के, मौसम में, मैं अपने, बाबा के,
दरबार आई….. क्या होली रंगदार आई,
दरबार आई….. क्या होली रंगदार आई,
फागुन के, मौसम में, मैं अपने, बाबा के, करने मैं,
दीदार आई……क्या होली रंगदार आई,
जब श्याम के मैं दरबार गई,
मैं श्याम दीवानी हो गई,
दुनिया के रिश्ते नातों की,
खत्म कहानी हो गई,
ऐसी ना देखी थी, जो होली जो,
मेरे लिए इस बार आई,
क्या होली रंगदार आई,
दरबार आई…… क्या होली रंगदार आई,
चंदन की महक की खुशबू है,
फागुन का मस्त महीना है,
कैसी मस्ती है खाटू में,
ये मस्ती और कहीं ना है,
बाबा की चौखट पे मस्ती के रंगों की,
फुहार आई….. क्या होली रंगदार आई,
दरबार आई…. क्या होली रंगदार आई,
हम अपने श्याम सलोने से,होली के रसिया की जय
हम अपने श्याम सलोने से,
फूलों की होली खेलेंगे,
ना बच करके जाने देंगे,
हम बनाके टोली खेलेंगे,
फूलों के, चंदन के, तुलसी के लेकर में,
हां हार ले आई,
क्या होली रंगदार आई,
दरबार आई…..क्या होली रंगदार आई,
फागुन के, मौसम में, मैं अपने, बाबा के, करने मैं,
दीदार आई….. क्या होली रंगदार आई,
दरबार आई…. क्या होली रंगदार आई,
फागुन के, मौसम में, मैं अपने, बाबा के,
दरबार आई….. क्या होली रंगदार आई,
दरबार आई….. क्या होली रंगदार आई,