तर्ज, मनिहारी का भेष बनाया
बरसाने में खेलेंगे होली,
वहां धूम मचाएंगे पूरी ।।
वहां आनंद लेंगे लट्ठमार होली का,
और आनंद लेंगे हम लड्डू होली का,
ब्रजवासी जो खेलेंगे होली,
वहां धूम मचाएंगे पूरी ।।
आज रंगनी बरसाने की गलियां,
अब देखेगी सारी ये दुनिया,
भर भर के ले चलो पिचकारी,
वहां धूम मचाएंगे पूरी ।।
होरी का रसिया जब आएगा,
संग अपने वो ग्वालों को लाएगा,
राधा की भिगोयेगा चुनरी,
वहां धूम मचाएंगे पूरी ।।
अब बहुत हुई आनाकानियाँ,
अब मतकर तू अपनी मनमानियां,
ये ‘ प्राची ‘ भी खेलेगी होरी,
वहां धूम मचाएंगे पूरी ।।
बरसाने में खेलेंगे होली,
वहां धूम मचाएंगे पूरी ।।