तर्ज,पल्लो लटके
खेलो डट के होली खेलो डट के। पीछे हट के मोसे से पीछे हट के।
औ राधा नवल किशोरी होली खेलो डट के। कन्हैया बात करो तो मुझसे पीछे हट के।
करता है तुम संग बरजोरी कर होलि का बहाना। मुझको तेरे संग में हरगिज फाग नहीं मनाना। मेरे क्यों आगे मटके की मोसे पीछे हट के।
खेलो डट के होली खेलो डट के। पीछे हट के मोसे से पीछे हट के।
रंगों की मस्ती ने कर दिया मुश्किल मेरा जीना। मेरे दिल का चैन चुराय मौसम भीना भीना। मेरा अब दिल भटके की होली खेलो डट के।
खेलो डट के होली खेलो डट के। पीछे हट के मोसे से पीछे हट के।
तेरी इन बातों का मुझ पर होता असर नहीं है। मेरे अलावा तुझको कोई आता नजर नहीं है। मेरी क्यों बैया झटके,की मोसे से पीछे हट के।
खेलो डट के होली खेलो डट के। पीछे हट के मोसे से पीछे हट के।
कहे अनाड़ी मेरे ऊपर रंग कीचड़ी खुमारी। सात रंग में रंग देऊ में चुन्नी लहंगा साड़ी। मैं डालूं दो दो मटके, की होली खेलो डट के।
खेलो डट के होली खेलो डट के। पीछे हट के मोसे से पीछे हट के।