मेरे हाथों में पिचकारी ना कोई रंग की पुड़िया। फिर क्यों तू भागे बोल बरसाने की गुड़िया।
तेरी बातों में ना आऊं जानू तू है छलिया। होली के बहाने मुझको तू छेड़ेगा रसिया।
मैं समझा था तुझे भोली तू बड़ी सयानी निकली। ना पकड़ में आए जैसे बगिया की चंचल तितली। 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺मेरा लहंगा गोटेदार है इसमें कोहिनूर जड़ा है। लाखों की चुनर को काहे भिगोने पर तुला है। फिर काहे सपने में आए, मन में प्रेम अगन भड़काये। 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺यह झूठे सब इल्जाम तेरे ना करूंगी दिल मैं नाम तेरे। गुलाल मुझे मलने दे गाल लगेंगे बढ़िया।
तेरी बातों में ना आऊं जानू तू है छलिया। होली के बहाने मुझको तू छेड़ेगा रसिया।
मन के तराजू पे कब मेरे प्यार को तोलेगी। मेरी बाहों के झूले में कब मस्ती से झुलेगी।🌺🌺🌺 कान्हा देख तेरी चाहत यह दिल मेरा पिघल रहा है। फागुन की मस्ती में यह हाथों से निकल रहा है। 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺इसका मतलब तू राजी और प्रेम की है तू प्यासी। तुम सात जन्म का संग दे।और अंग अंग मेरा रंग दे। 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺मेरे मन के सिंहासन पर विराजे अब तू छलिया।फिर क्यों तू भागे बोल बरसाने की गुड़िया।
मेरे हाथों में पिचकारी ना कोई रंग की पुड़िया। फिर क्यों तू भागे बोल बरसाने की गुड़िया।
तेरी बातों में ना आऊं जानू तू है छलिया। होली के बहाने मुझको तू छेड़ेगा रसिया।