तर्ज, दीनानाथ मेरी बात
बाबा श्याम मेरे काम आपने सवारे हैं। मुझे अपना दास जान किये वारे न्यारे है।
मैंने ली थी ओट बाबा तेरे चरणन की। खूब रखी लाज बाबा तूने निर्धन की। किए एहसान इतने जितने सितारे हैं।मुझे अपना दास जान किये वारे न्यारे है।
बाबा श्याम मेरे काम आपने सवारे हैं। मुझे अपना दास जान किये वारे न्यारे है।
भक्तों पर आंच कभी आने नहीं देता।आन बान शान कभी जाने नहीं देता। तेरे चरणों के दास कभी नहीं हारे हैं। मुझे अपना दास जान किये वारे न्यारे है।
बाबा श्याम मेरे काम आपने सवारे हैं। मुझे अपना दास जान किये वारे न्यारे है।
सुख का समुंदर भरा जैसे लुटिया में। महलों जैसे ठाट किए मेरी छोटी कुटिया में। साक्षात देखे तेरे दया के नजारे हैं। मुझे अपना दास जान किये वारे न्यारे है।
बाबा श्याम मेरे काम आपने सवारे हैं। मुझे अपना दास जान किये वारे न्यारे है।
रही बंदी बात जात तेरी करामात थी। जो भी किया तुमने किया मेरी क्या औकात थी। भक्तों ने मिलकर तेरे पांव चुचकारे है।मुझे अपना दास जान किये वारे न्यारे है।
बाबा श्याम मेरे काम आपने सवारे हैं। मुझे अपना दास जान किये वारे न्यारे है।