ढूंढत ढूंढत खाटू नगरी आ गयी,
श्याम तुम्हारी नगरी मुझको भा गयी, भा गयी मेरे श्याम।
देख के खाटू नगरी को में तो दीवानी हो गयी,
ऐसी चढ़ी दीवानगी में मस्ती में खो गयी,
देख कायल हुई में तो पागल हुई,
इसकी नजरो से देखो में तो घायल हुई,
पा गयी पा गयी तुझको श्याम,
ढूंढत ढूंढत……………
तेरी सूरत देख के खुशियां मन में हो रही,
कैसे मिलेगा साँवरा मन ही मन में रो रही,
ये क्या हुआ मुझको अब ना सता,
सता अपने गले से तू मुझको लगा,
ध्या रही ध्या रही तेरा नाम अब तो,
ढूंढत ढूंढत……………..
तेरी नगरी साँवरे सबको प्यारी लगती है,
मैंने सुना है तेरे दर पे किस्मत सबकी बनती है,
श्याम खाली झोली मेरी भरजा ओ ना कृपा मुझपे प्रभु अब तो करजा ओ ना।
गा रही गा रही तेरे भजनों को मेरे श्याम,
ढूंढत ढूंढत…….
तेरा “रविंदर”,साँवरे गूंन तेरा ही गायेगा,
मुझको मिला है इस दर से सबको ये ही बताएगा,
किरपा मुझपे करो कस्ट मेरे हरो सिर पे मेरे प्रभु हाथ अपना धरो,
गा रही गा रही तेरी मस्ती में मेरे श्याम,
ढूंढत ढूंढत…………
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Dhundhat dhundhat khatu nagri aa gayi,ढूंढत ढूंढत खाटू नगरी आ गयी,shyam bhajan
ढूंढत ढूंढत खाटू नगरी आ गयी,