तर्ज, जब से देखा तुम्हे मुरली वाले
जब से देखा तुम्हे डमरू वाले दिल हमारा ठिकाने नहीं है।
आंख वालों ने है तुमको देखा, कान वालों ने तुमको सुना है। तुमको देखा उन्हीं ने हे भोले जिनकी आंखों पर पर्दा नहीं है।
जब से देखा तुम्हे डमरू वाले दिल हमारा ठिकाने नहीं है।
लोग पीते हैं पी पी कर गिरते, हम तो पीते हैं गिरते नहीं हैं। हमने पिया है अमृत का प्याला, कोई अंगूरी मदिरा नहीं है।
जब से देखा तुम्हे डमरू वाले दिल हमारा ठिकाने नहीं है।
हर किसी को यह चढ़ती नहीं है, जिसको चढ़ती उतरती नहीं है। हमको दुनिया से अब क्या है लेना, तेरी चौखट पर आकर खड़े हैं।
जब से देखा तुम्हे डमरू वाले दिल हमारा ठिकाने नहीं है।