तर्ज,आना पवन कुमार हमारे हरी कीर्तन में
भोले की चढ़ी है बारात, चले सब संग संग में।सभी देव चले साथ,चले सब संग संग में।
नंदी सवारी शिव आप विराजे, मणियों की माला अंग में साजे। अंग भभूति लगाई, चले सब संग संग में।
भोले की चढ़ी है बारात, चले सब संग संग में।सभी देव चले साथ,चले सब संग संग में।
भूतों की टोली छम छम नाचे, डम डम डमरू की ताल बाजे। गले सर्पों की माल,चले सब संग संग में।
भोले की चढ़ी है बारात, चले सब संग संग में।सभी देव चले साथ,चले सब संग संग में।
भांग धतूरा घोट के पिये। हाथों में बाबा तिरसुल शोहै। चले हिमाचल द्वार, चले सब संग संग में।
भोले की चढ़ी है बारात, चले सब संग संग में।सभी देव चले साथ,चले सब संग संग में।
महाकाल की धरती नाचे,भूत प्रेत वेताल नाचे।नाचे भगत सब आज,चले सब संग संग में।
भोले की चढ़ी है बारात, चले सब संग संग में।सभी देव चले साथ,चले सब संग संग में।
भोले बाबा की महिमा न्यारी। मन इच्छा फल पावे नर नारी। जाए चरण बलिहार, चले सब संग संग में।
भोले की चढ़ी है बारात, चले सब संग संग में।सभी देव चले साथ,चले सब संग संग में।