तर्ज,सावन की बरसे बदारिय
भोले ने शीश पे धारी,हो गंगा मैया हमारी।हो शिवजी ने शीश पे धारी,हो गंगा मैया हमारी।
मैया हमारी गंगा मैया हमारी। विपदा भागीरथ की टारी,गंगा मैया हमारी।
भोले ने शीश पे धारी,हो गंगा मैया हमारी।हो शिवजी ने शीश पे धारी,हो गंगा मैया हमारी।
भागीरथ के पुरखे सारे। प्रेत बने फिरते थे मारे।श्राप बड़ा था भारी,गंगा मैया हमारी।
भोले ने शीश पे धारी,हो गंगा मैया हमारी।हो शिवजी ने शीश पे धारी,हो गंगा मैया हमारी।
कपिल मुनि ने यह बताया, गंगा केवल एक उपाया। वेग बड़ा है भारी,गंगा मैया हमारी।
भोले ने शीश पे धारी,हो गंगा मैया हमारी।हो शिवजी ने शीश पे धारी,हो गंगा मैया हमारी।
भागीरथ ने शिव को ध्याया।और चरणों में अलख जगाया।गंगा धरो त्रिपुरारी,गंगा मैया हमारी।
भोले ने शीश पे धारी,हो गंगा मैया हमारी।हो शिवजी ने शीश पे धारी,हो गंगा मैया हमारी।
खोल दाई शिव ने अपनी जटाये, गंगा गई शिव शीश समाए।राख पुरखों की तारी,गंगा मैया हमारी।
भोले ने शीश पे धारी,हो गंगा मैया हमारी।हो शिवजी ने शीश पे धारी,हो गंगा मैया हमारी।