तर्ज, ओ मेरी जोहरा जबी
ओ मेरे खाटू वाले, हम हैं तेरे दीवाने, खाटू में आया पहली बार बाबा श्याम, हाथों में लेकर आया मैं भी एक निशान ।
यह फाग मेले का रंग, जो खाटू में, कहीं नहीं।। चले जो हाथों में ले निशान,टोली में, थमे नहीं। हो तुझसे मिलने की प्यास, लेकर हम, रुके नहीं, ओ मुझे ओ मुझे ओ मुझे छा गया तेरा नशा।
ओ मेरे खाटू वाले, हम हैं तेरे दीवाने, खाटू में आया पहली बार बाबा श्याम, हाथों में लेकर आया मैं भी एक निशान ।
वह श्याम कुंड बगीची, जो खाटू में, कहीं नही।वो तोरण द्वार जैसा द्वार, जहान में कहीं नहीं। ओ श्री श्याम सा नाम, स्वर्ग में कहीं नहीं।वो तेरे वो तेरे वो तेरे जैसा और नहीं।
ओ मेरे खाटू वाले, हम हैं तेरे दीवाने, खाटू में आया पहली बार बाबा श्याम, हाथों में लेकर आया मैं भी एक निशान ।
तूं अबकी बार बाबा श्याम, खाटू में, मुझे बसा ले। खेलू रंग तेरे संग फागुन का, खाटू में।। मैं चाऊं खूब धमाल, बाबा श्याम मेले में। ओ मैं भी ओ मैं भी ओ में भी झोली भर खाली ले जाऊं।
ओ मेरे खाटू वाले, हम हैं तेरे दीवाने, खाटू में आया पहली बार बाबा श्याम, हाथों में लेकर आया मैं भी एक निशान ।