तर्ज,हंसता हुआ नूरानी चेहरा
भांग पीला गोरा आजा जी सा,बन जागा शक्कर में घी सा। बरसन लागे गा गर्मी सा।घोट दे घोट दे,गोरा घोट दे घोट दे।
ईसा लगया तेरे भांग का चस्का,भांग घोटना ना मेरे बस का।हाल देखले खाकर मस्का। घोटूं ना घोटूँ ना।घोटूं ना भांग घोटूं ना।
जब जब यह सावन का महीना से आवे। भंगिया ने मेरा भी मन ललचावे। आदत या भोले ना बिल्कुल सुहावे।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 देखा लिमिट तेरी बढ़ती ही जावे। मेरा भोले जी घबरावे, क्यों मेरा तूं जी जलावे। कहना ना माने मेरा।
ज्यादा नखरे छाटे मत ना, भांग घोटलया नाटे मत ना। पीवन दे मने नाटे मत ना,घोट दे घोट दे,गोरा घोट दे घोट दे।
और चीज भोले तू कुछ भी ना खावे। रात दिन मेरे से भंगिया घुटावे। अमरत से बढ़कर ना हो गोरा भांगिया। भंगिया पर क्यों गोरा नाक चढ़ावे। तने बताऊं गोरा प्यारी, भंगिया में जावे लाख बीमारी। नाटे ना आज मने।
तेरी भांग का ये नशा खोटा, पीओ से भर भर के लोटा। फोड़ूंगी तेरा कुंडी सोटा,घोटूं ना घोटूँ ना।घोटूं ना भांग घोटूं ना।
सुन गोरा जाने हैं दुनिया यह सारी। भंगिया तो लागे हैं मने जी से प्यारी। भीमसेन घोटेगा भांग तुम्हारी। 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺मैं तो चली पीहर रे भोला भंडारी। सच बताऊं अब ना आऊं, कधे तेरे से ना बतलाऊं। खा ली कसम मैंने भी।
ठीक नहीं गोरा लड़के जाना, भीमसेन मेरा यार पुराना। गोरा तने पड़े पछताना।घोट दे घोट दे,गोरा घोट दे घोट दे।
भांग पीला गोरा आजा जी सा,बन जागा शक्कर में घी सा। बरसन लागे गा गर्मी सा।घोट दे घोट दे,गोरा घोट दे घोट दे।