तर्ज, सतगुरु मैं तेरी पतंग
मैं तेरी कठपुतली श्याम
मैं तेरी कठपुतली
तेरा हुकुम बजाऊंगी
तू डोर हिलाना सावरिया
मैं नाच दिखाउंगी
मेरा वजूद कुछ नहीं
मैं जड़ हूँ सावरे ..2
प्रभु तेरे एक इशारे पे
चेतन हो जाउंगी
तू डोर हिलाना सावरिया
मैं नाच दिखाउंगी
मैं तेरी कठपुतली श्याम
मैं तेरी कठपुतली
मेरी हथखेल तो तेरे
हाथों में है प्रभु ..2
तू चाहे जिधर घूम ले
मैं घुन जुंदगी
तू डोर हिलाना सावरिया
मैं नाच दिखाउंगी
मैं तेरी कठपुतली श्याम
मैं तेरी कठपुतली
मैं नर हूँ तू नारायण
तेरा अंश है मुझमे
जो तेरी राजा है उसमे
राजी हो जाउंगी
तू डोर हिलाना सावरिया
मैं नाच दिखाउंगी
मैं तेरी कठपुतली श्याम
मैं तेरी कठपुतली
मैं तेरी कठपुतली श्याम
मैं तेरी कठपुतली
तेरे हर्ष को दरबार में
जितना नचा लेना
दुनिया में नहीं नाचना
मैं फिर बन पाऊँगी
तू डोर हिलाना सावरिया
मैं नाच दिखाउंगी
मैं तेरी कठपुतली श्याम
मैं तेरी कठपुतली
मैं तेरी कठपुतली श्याम
मैं तेरी कठपुतली
मैं तेरी कठपुतली श्याम
मैं तेरी कठपुतली
तेरा हुकुम बजाऊंगी
तू डोर हिलाना सावरिया
मैं नाच दिखाउंगी