तर्ज, जब से देखा तुम्हे मुरली वाले
मेरे सांवरे सलोने कन्हैया तेरा जलवा कहाँ पर नही है
तेरा जलवा कहाँ पर नही है, तेरा जलवा कहाँ पर नही है।
कान वालो ने जाकर सुना है, आँख वालो ने जाकर के देखा ।
उनकी आँखो मे परदा पड़ा है जिस ने जलवा ये देखा नही है ॥
लोग पीते है पी पी के गिरते, हम पीते है गिरते नही है ।
हम तो पीते है सत्संग का प्याला ये अँगुरो की मदिरा नही है ॥
मन्दिर जाऊँ मैं सांझ सवेरे, अलख जगाऊ मैं नाम की तेरे ।
दुनिया वालो से अब क्या डरना, हम को दुनिया की परवाह नही है ॥
सुबह शाम है जिस ने पुकारा, तेरे नाम का लेकर सहारा ।
सच्चे भाव से जिसने पुकारा, तेरे आने मे देर नही है ॥