घोट रही मां गौरा भंगिया, डमरू बाज रहे। पैरों में घुंघरू बांध के भोले छम छम नाच रहे।
मीठी मीठी भांग घोट कर शिव शंकर ने प्यावे। पीकर मस्त भांग का प्याला भोला धूम मचावे। देव लोक और स्वर्ग लोक में मस्ती जाग रही।पैरों में घुंघरू बांध के भोले छम छम नाच रहे।
घोट रही मां गौरा भंगिया, डमरू बाज रहे। पैरों में घुंघरू बांध के भोले छम छम नाच रहे।
शिव शंकर त्रिलोकी बाबा सबके भाग जगाए। आ जाए जब मस्ती में वह छप्पर फाड़ लुटाए। हाथ जोड़कर बाबा से सारी दुनिया मांग रही। पैरों में घुंघरू बांध के भोले छम छम नाच रहे।
घोट रही मां गौरा भंगिया, डमरू बाज रहे। पैरों में घुंघरू बांध के भोले छम छम नाच रहे।
कर लो सब कोई शिव की भक्ति जीवन बीता जाए। भोले बाबा खुद ही तेरा बेड़ा पार लगाए। भोले नाम की भंगिया पी के दुनिया नाच रही। पैरों में घुंघरू बांध के भोले छम छम नाच रहे।
घोट रही मां गौरा भंगिया, डमरू बाज रहे। पैरों में घुंघरू बांध के भोले छम छम नाच रहे।