फागण का नजारा है, आई है खाटू से चिट्ठी आज, श्याम बाबा ने पुकारा है।
हमने सुना है फागण में मेला लगता है भारी। दूर-दूर तक है चर्चा मेले की महिमा न्यारी। जो एक बार जाता है, आता तो है लेकिन, दिल हार के आता है।
फागण का नजारा है, आई है खाटू से चिट्ठी आज, श्याम बाबा ने पुकारा है।
लाखों लाख निशान लिए चलते हैं सब मतवारे। सारे रास्ते गूंजते हैं श्याम नाम के जयकारे। सुन सुन के उछलता है, प्रेमी से मिलने को, यह खुद भी मचलता है।
फागण का नजारा है, आई है खाटू से चिट्ठी आज, श्याम बाबा ने पुकारा है।
याद उसे जब प्रेमी की यादें बहुत सताती है। मोड़ता है रुख बादल का और फागन रुत आती है। फागण के बहाने से, मन को सुकून मिले, खाटू में जाने से।
फागण का नजारा है, आई है खाटू से चिट्ठी आज, श्याम बाबा ने पुकारा है।