तर्ज,सावन का महीना पवन करे शोर
राधे तेरी पायल के घुंगरू करते शोर। घीर के आया सावन बदरा बरसे घनघोर।
झूम रहा मन मेरा जो मन में नाचे मोर।घीर के आया सावन बदरा बरसे घनघोर।
बजती है जब-जब राधे मेरी मुरलिया। तब ही खनकती है यह तेरी पायलिया। सुर और ताल का संगम ना ऐसा कोई और।🌺🌺🌺🌺🌺🌺 घीर के आया सावन बदरा बरसे घनघोर।
राधे तेरी पायल के घुंगरू करते शोर। घीर के आया सावन बदरा बरसे घनघोर।
ऐसा रंगा हूं राधे मैं तो तेरे रंग में। बीते उमरिया सारी अब तो तेरे संग में।शाम सुहानी लगती और मस्त मगन है भोर।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺घीर के आया सावन बदरा बरसे घनघोर।
राधे तेरी पायल के घुंगरू करते शोर। घीर के आया सावन बदरा बरसे घनघोर।
इल्जाम जितना चाहे तुम ने लगाया है। मैंने चुराया माखन तुमने दिल चुराया है। मैंने कभी कहा ना फिर भी तुमको चितचोर।🌺🌺🌺🌺 घीर के आया सावन बदरा बरसे घनघोर।
राधे तेरी पायल के घुंगरू करते शोर। घीर के आया सावन बदरा बरसे घनघोर।