नीलकंठ पर बैठा से मेरा शिव भोला भंडारी। दूर-दूर ते दर्शन खातिर आवे दुनिया सारी।
सब देवों में देव निराला, शिव शंभू मेरा भोला भाला। गले में है सर्पों की माला जटा में गंग सुख कारी।
नीलकंठ पर बैठा से मेरा शिव भोला भंडारी। दूर-दूर ते दर्शन खातिर आवे दुनिया सारी।
जब सावन का महीना आवे, भगता पर मस्ती चढ जाव। बम बम की कावड़ ले आवे भीड़ लगे अति भारी।
नीलकंठ पर बैठा से मेरा शिव भोला भंडारी। दूर-दूर ते दर्शन खातिर आवे दुनिया सारी।
कोई भांग का घोटा लावे, आग धतूरा कोई मंगा वे। कोई चिलम सुलगा कर ले आवे, दम मारे त्रिपुरारी।
नीलकंठ पर बैठा से मेरा शिव भोला भंडारी। दूर-दूर ते दर्शन खातिर आवे दुनिया सारी।
तीन लोक में मच गया रोला, देखकर कावड़ियों का टोला। हर मुसीबत काटे भोला संग में गोरा प्यारी।
नीलकंठ पर बैठा से मेरा शिव भोला भंडारी। दूर-दूर ते दर्शन खातिर आवे दुनिया सारी।