तर्ज, नाम है तेरा तारण हारा
ना मैं राधा ना मैं मीरा,
ना मैं सुदामा जैसी हूँ,
मैं हूँ पागल श्याम दीवानी,
मत पूछो मैं कैसी हूँ,
मत पूछो मैं कैसी हूँ……. ,
कौन हूँ मैं और क्या है दुनियाँ,
मुझे रहा अब होश नहीं,
मैं पगली हूँ श्याम नाम की,
मेरा कोई दोष नहीं,
मेरा कोई दोष नहीं,
कोई मुझको कुछ भी बोले,
मैं ऐसी या वैसी हूँ,
मैं हूँ पागल श्याम दीवानी,
मत पूछो मैं कैसी हूँ,
मत पूछो मैं कैसी हूँ।
ना मैं राधा ना मैं मीरा,
ना मैं सुदामा जैसी हूँ,
मैं हूँ पागल प्रेम दीवानी,
मत पूछो मैं कैसी हूँ,
मत पूछो मैं कैसी हूँ।
श्याम नाम के दिव्य रतन से,
मन की तिजोरी भरली है,
डूब के मैंने श्याम सुधा में,
चाहत पूरी कर ली है,
चाहत पूरी कर ली है,
जैसे चाहे श्याम हमारा,
हाँ मैं बिलकुल वैसी हूँ,
मैं हूँ पागल प्रेम दीवानी,
मत पूछो मैं कैसी हूँ,
मत पूछो मैं कैसी हूँ।
ना मैं राधा ना मैं मीरा,
ना मैं सुदामा जैसी हूँ,
मैं हूँ पागल श्याम दीवानी,
मत पूछो मैं कैसी हूँ,
मत पूछो मैं कैसी हूँ।
श्याम के रंग में भीग चुकी हूँ,
कोई रही अब चाह नहीं,
साँस चले या थाम जाएं,
मुझे कोई परवाह नहीं,
श्याम सरोवर में मिलने को
बहती नदिया जैसी हूँ.
मैं हूँ पागल प्रेम दीवानी
मत पूछो मैं कैसी हूँ,
मत पूछो मैं कैसी हूँ।
ना मैं राधा ना मैं मीरा,
ना मैं सुदामा जैसी हूँ,
मैं हूँ पागल श्याम दीवानी,
मत पूछो मैं कैसी हूँ,
मत पूछो मैं कैसी हूँ।