तर्ज – मिलती है जिंदगी में
आँखों को इंतज़ार है सरकार आपका
ना जाने कब मिलेगा दीदार आपका
आंखो को इंतज़ार है सरकार आपका
चन्दन हैं खाटू की माटी अमृत यहाँ का नीर
ये दोनों जिसको मिल जाए बहुत बड़ी तकदीर।
आया हूँ तेरे द्वार पर मुझको संभालिये
दर्शन की आस दिल में है खाली ना टालिए
घबरा के दम ना तोड़ दे बीमार आपका
आंखो को इंतज़ार है सरकार आपका।
जी चाहता है आपको इक बार देख ले
डाली से फूल टूटकर शायद ना फिर खिले
जाऊं कहाँ मैं छोड़कर दरबार आपका
आंखो को इंतज़ार है सरकार आपका।
सजदा कबूल हो ना हो दर पे पड़ा रहूँ
मैं तो इस दरबार के सन्मुख खड़ा रहूँ
इक रोज़ छोड़ जाएंगे ये संसार आपका
आंखो को इंतज़ार है सरकार आपका।
आँखों को इंतज़ार है सरकार आपका
ना जाने कब मिलेगा दीदार आपका
आंखो को इंतज़ार है सरकार आपका।
आँखों को इंतज़ार है सरकार आपका
ना जाने कब मिलेगा दीदार आपका
आंखो को इंतज़ार है सरकार आपका