तर्ज, तुझमें रब दिखता है
तुमसे मेरा ये जीवन तुमसे ही शान है ,
दुनिया में तुमसे बाबा मेरी पहचान है ,
तुम हो तो ये ज़माना कहता है दिल दीवाना ,
और कुछ न जानू मैं बस इतना ही जानू ,
तुझमे सब दिखता है बाबा मैं क्या करूँ ,
दिल मेरा कहता है बाबा मैं क्या करूँ ,
तुझमे सब दीखता है……………… ,
अपने ही ढंग में सांवरे रंग में सांवरे रंग दिया है मुझे ,
सबको भूलकर मन से मिटाकर माना है एक ही बस तुझे ,
मेरी साँसों में आजा श्याम दिल में समा जा ,
और कुछ न चाहूँ मैं बस इतना ही चाहूँ ,
तुझमे सब दिखता है बाबा मैं क्या करूँ ,
दिल मेरा कहता है बाबा मैं क्या करूँ ,
तुझमे सब दीखता है……………… ,
सपना सजा दे अपना बना ले हर कदम संग तेरे मैं रहूं ,
जैसे दिया बाटी बन जा तू साथी और कुछ सांवरे ना चहुँ ,
करली प्रेम सगाई अब ना तड़पा कन्हाई ,
और कुछ न जानू मैं बस इतना ही जानू ,
तुझमे सब दिखता है बाबा मैं क्या करूँ ,
दिल मेरा कहता है बाबा मैं क्या करूँ ,
तुझमे सब दीखता है………………,
मैं हूँ एक कश्ती तू है मेरा मांझी साथ जन्मो का है ये मेरा ,
दिल ये पुकारे हारे के सहारे बेधड़क साथ चाहूँ तेरा,
ढोल चरणों की पाऊं अपनी किस्मत जगाऊँ ,
और कुछ न चाहूँ मैं बस इतना ही चाहूँ ,
तुझमे सब दिखता बाबा मैं क्या करूँ ,
दिल मेरा कहता है बाबा मैं क्या करूँ ,
तुझमे सब दीखता है……………..