तर्ज – दिल है की मानता नहीं।
लौ तू लगा श्याम से,
मुश्किल हो चाहे,
कितनी बड़ी भी,
कट जाए आराम से,
लौ तु लगा श्याम से।।
चिंतन करो तुम,
चिंता करेगा,
तेरी हर घड़ी सांवरा,
दिल तू लगा ले,
हर पल निभाए,
तेरी दिल लगी सांवरा,
जग से छुपाए,
फिरते हो जो भी,
वो तुम कहो श्याम से,
लौ तु लगा श्याम से।।
क्यों मन बावरे तू,
धीरज गंवाए,
फिर रहा माया गाँव में,
जग धुप है ये,
क्यों जल रहा तू,
आजा श्याम छाँव में,
जिस ने शरण ली,
प्रभु ने खबर ली,
आया सदा थामने,
लौ तु लगा श्याम से।।
तेरी कामना वो,
पहचान लेगा,
कहना भी जरुरी नहीं,
कमी कुछ ना होगी,
तेरी जिन्दगी ये,
रहेगी अधूरी नहीं,
‘गोलू’ रुके ना रफ़्तार उनकी,
जिनको गति श्याम दे,
लौ तु लगा श्याम से।।
लौ तू लगा श्याम से,
मुश्किल हो चाहे,
कितनी बड़ी भी,
कट जाए आराम से,
लौ तु लगा श्याम से।।
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मुश्किल हो चाहे,
कितनी बड़ी भी,