तर्ज एक तू जो मिला
तेरे दरबार में सर झुकाती रहूं,
तू बुलाता रहे और मैं आती रहूं,
तू बुलाता रहे और मैं आती रहूं।।
तेरे चरणों की सेवा,
और भक्ति मिले,
तेरे चरणों में रहकर,
ही मुक्ति मिले,
मन के मंदिर में,
तुझको सजाती रहूं,
तू बुलाता रहे और मैं आती रहूं,
तू बुलाता रहे और मैं आती रहूं।।
तेरे दरबार में सर झुकाती रहूं,
तू बुलाता रहे और मैं आती रहूं,
तू बुलाता रहे और मैं आती रहूं।।
नाम से तेरे मुझको,
है शोहरत मिली,
मुझको दौलत भी,
तेरी बदौलत मिली,
कर कृपा मान,
सम्मान पाती रहूं,
तू बुलाता रहे और मैं आती रहूं,
तू बुलाता रहे और मैं आती रहूं।।
तेरे दरबार में सर झुकाती रहूं,
तू बुलाता रहे और मैं आती रहूं,
तू बुलाता रहे और मैं आती रहूं।।
आरजू दिल की चौखट,
ना छूटे कभी,
तार तुझसे जुड़ा,
वो ना टूटे कभी,
सांसे जब तक चले,
भजन गाती रहूं,
तू बुलाता रहे और मैं आती रहूं,
तू बुलाता रहे और मैं आती रहूं।।
तेरे दरबार में सर झुकाती रहूं,
तू बुलाता रहे और मैं आती रहूं,
तू बुलाता रहे और मैं आती रहूं।।