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श्याम भजन लिरिक्स

Shree shyam kripa ras ka Katra bhi Chuka Pau,श्री श्याम कृपा रस का कतरा भी चुका पाऊ,shyam bhajan

श्री श्याम कृपा रस का कतरा भी चुका पाऊ,

तर्ज, हर बार तेरे दर पे

श्री श्याम कृपा रस का कतरा भी चुका पाऊ,
मुझमें वो बात नही मेरी औकात नही.

गर सारी धरती को कागज़ में बना डालू,
गर सात समंदर को स्याही मैं बना डालू…
फिर भी वर्णन कर दू दरबार की महिमा का,
फिर भी वर्णन कर दू दरबार की महिमा का,
मुझमें वो बात नही मेरी औकात नही.

श्री श्याम कृपा रस का कतरा भी चुका पाऊ,
मुझमें वो बात नही मेरी औकात नही.

किस्मत के मारो को मिलता सत्कार नही
बस श्याम के दर पे ही ऐसा व्यवहार नही,
इनके उपकारों को मर के भी चुका पाऊ,
इनके उपकारों को मर के भी चुका पाऊ,
मुझमें वो बात नही मेरी औकात नही.


श्री श्याम किरपा रस का कतरा भी चुका पाऊ,
मुझमें वो बात नही मेरी औकात नही..

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