तर्ज, ज्योति से ज्योत जगाते चलो
हुनमत के गुण गाते चलो, प्रेम की श्रद्धा को बढाते चलो।
राह में आया जो कोई दुखी, किरपा सब पे बहाते चलो। प्रेम की श्रद्धा पूर्वक चलो।
सारी दुनिया ने ठुकराया द्वार पे अर्जी लगा दी,
चारों ओर अँधेरा छाया तब मैंने तुझको बुलाया।
आशा के दीप जलाते चलो किरपा सब पे बहाते चलो।प्रेम की श्रद्धा पूर्वक चलो।
भक्तों के हो तुम प्रतिपाला संकट मोचन बाल।
गल वैजन्ती माला सुन्दर लाल लंगोटे वाला।
सारे जग में है तेरा ही नाम किरपा सभी पे करते चलो। प्रेम की श्रद्धा पूर्वक चलो।
चारों ओर सिर्फ निराशा ही तेरी ही आशा है।
जब जब तुझको पुकारा तेरी शरण ही सहारा है।
ध्यान लगा के रटते चलो किरपा सभी पे तु करते चलो।प्रेम की श्रद्धा पूर्वक चलो।
हुनमत के गुण गाते चलो प्रेम की श्रद्धा को बढ़े चलो।
राह में आया जो कोई दुखी, किरपा सब पे बहाते चलो। प्रेम की श्रद्धा पूर्वक चलो।