तर्ज, चांदी जैसा रंग है तेरा
रंग रंगीला छैल छबीला सांवरिया सरकार,
विनती बारंबार करूं मैं आ जाओ एक बार,
एक झलक दर्शन की दे दो और ना कुछ मैं चाहूं,
उमर बता दूं इन चरणों में तेरा गुण बस गांऊं
बांसुरिया की तान सुना दे मैं उसमें खो जाऊं
सोना चांदी धन दौलत की….
सोना चांदी धन दौलत की मुझको नहीं दरकार
विनती बारंबार करूं मैं आ जाओ एक बार…2
जीवन देने वाले आजा क्यों ना प्रीत निभाएं…2
तुझको क्या अपने भक्तों की याद कभी ना आए
रह नहीं सकते तेरे बिना अब कैसे तुझे समझाए
रंग सभी फीके हैं तुम बिन…..
रंग सभी फीके हैं तुम बिन फीके यह मनुहार
विनती बारंबार करूं मैं आ जाओ एक बार
सांवरा विनती बारंबार करूं मैं आ जाओ एक बार
ऐसा लागे जन्म जन्म का रिश्ता तेरा मेरा…2
श्याम तुझे पर खत्म करूं और तुझसे होय सवेरा
चार दिनों की है जिंदगानी चार दिनों का बसेरा
तू जो नहीं तो लहरी अपना…
तू जो नहीं तो लहरी अपना जीना है बेकार
विनती बारंबार करूं मैं आ जाओ एक बार
हो हो हो विनती बारंबार करूं मैं आ जाओ एक बार
रंग रंगीला छैल छबीला सांवरिया सरकार
विनती बारंबार करूं मैं आ जाओ एक बार….