श्याम मेरे श्याम,
क्यूँ रूस के बैठ्यो है,
अब तू ही बता के खता मेरी,
क्यों रूस के बैठयो है,
अब तू ही बता के ख़ता मेरी।
दरवाजे दरबान खड्यो हूँ,
जईयां हालत मेरी,
रूसा रुसी छोड़ साँवरा,
अब ना कर तू देरी,
म्हा से क्यों रुस्यो है,
कइयाँ काटा या सजा तेरी,
क्यों रूस के बैठयो है,
अब तू ही बता के ख़ता मेरी।
यो तो बता दे और साँवरिया,
क्यों रुसवाई ठाणी,
मैं तो निहारा नैण तिहारा,
देखो म्हारे कानी,
मुँह फेर के बैठयो हो,
म्हाणे बतला दे रजा तेरी,
क्यों रूस के बैठयो है,
अब तू ही बता के ख़ता मेरी।
ना जाणूं कोई और ठिकाणों,
तेरो द्वार ही जाणूं,
मतलब को यों सारो जमानों,
तन्ने अपणो मानूं,
तू क्यों बिसरावे है,
या कोई है के अदा तेरी,
क्यों रूस के बैठयो हैं,
अब तू ही बता के ख़ता मेरी।
देखा हां म्हासूं रूठ के बाबा,
और कठे थे जाओ,
म्हाने पता है बिन म्हारे थे,
भी तो ना रह पाओ,
तेरो भगत चरण बेठ्यो,
पलका की चादर हटा तेरी,
क्यों रूस के बैठयो है,
अब तू ही बता के ख़ता मेरी।
श्याम मेरे श्याम,
क्यूँ रूस के बैठ्यो है,
अब तू ही बता के खता मेरी,
क्यों रूस के बैठयो है,
अब तू ही बता के ख़ता मेरी।
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Kyu rus ke baithyo hai ab tu hi bata ke khata meri,क्यूँ रूस के बैठ्यो है,अब तू ही बता के खता मेरी,shyam bhajan
क्यूँ रूस के बैठ्यो है,
अब तू ही बता के खता मेरी,