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राम भजन लिरिक्स

Kaha se le aaya aisi sughar naar tapsi ki,कहां से ले आया ऐसी शुघर नार तपसी की,ram bhajan

कहां से ले आया ऐसी शुघर नार तपसी की।

कहां से ले आया ऐसी शुघर नार तपसी की।अरे शुघर नार तपसी की,बड़ी शुघर नार तपसी की।कहां से ले आया ऐसी शुघर नार तपसी की।

रामचंद्र की सिया चुराई पापकी कर लेई तूने कमाई बहम तने ना खाया,ऐसी शुघर नार तपसी की।

कहां से ले आया ऐसी शुघर नार तपसी की।अरे शुघर नार तपसी की,बड़ी शुघर नार तपसी की।कहां से ले आया ऐसी शुघर नार तपसी की।

बचन मान ले मेरे सच्चे, कहां गए या के बालक बच्चे। कहां याका घरवाला,ऐसी शुघर नार तपसी की।

कहां से ले आया ऐसी शुघर नार तपसी की।अरे शुघर नार तपसी की,बड़ी शुघर नार तपसी की।कहां से ले आया ऐसी शुघर नार तपसी की।

सारे जग में बज रहया डंका, सोने की तेरी गढ़ लंका।आग तने लगवाया,ऐसी शुघर नार तपसी की।

कहां से ले आया ऐसी शुघर नार तपसी की।अरे शुघर नार तपसी की,बड़ी शुघर नार तपसी की।कहां से ले आया ऐसी शुघर नार तपसी की।

काल बंध रहा तेरे सिरहाने, कुन बाधाने मत ना ठाणे। तरस तुझे ना आया, ऐसी शुघर नार तपसी की।

कहां से ले आया ऐसी शुघर नार तपसी की।अरे शुघर नार तपसी की,बड़ी शुघर नार तपसी की।कहां से ले आया ऐसी शुघर नार तपसी की।

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