राम रस पीले रे पिलावें मेरे गुरु ज्ञानी,
आई थी हरि भजन करन को, भूल गई नादान,
बतावें मेरे गुरु ज्ञानी।
राम रस पीले रे पिलावें मेरे गुरु ज्ञानी।
मोह माया में फांसी बाबरी, वो मकड़ी जैसा जाल,बतावे मेरे गुरु ज्ञानी।
राम रस पीले रे पिलावें मेरे गुरु ज्ञानी।
जिस घर में हो हरि की पूजा, वहां बसें मेरे राम,
बताबे मेरे गुरु ज्ञानी।
राम रस पीले रे पिलावें मेरे गुरु ज्ञानी।
जिस घर में हो गुरु की सेवा, वो घर तीरथ समान,बतावे मेरे गुरु ज्ञानी।
राम रस पीले रे पिलावें मेरे गुरु ज्ञानी।
जिस घर में हो भागवत गीता, वो घर बैकुंठ धाम,बताबे मेरे गुरु ज्ञानी
राम रस पीले रे पिलावें मेरे गुरु ज्ञानी।
जिस घर में हो पतिव्रता नारी, वह घर स्वर्ग समान,बताबे मेरे गुरु ज्ञानी
राम रस पीले रे पिलावें मेरे गुरु ज्ञानी।
जिस घर में हो तुलसी की पूजा, वो घर गंगा समान,बताबे मेरे गुरु ज्ञानी
राम रस पीले रे पिलावें मेरे गुरु ज्ञानी।