तर्ज – “रेशमी सलवार कुर्ती जाली का”
करले तू दीदार शेरों वाली का
सेवक है संसार पहाड़ो वाली का ।
डगर डगर माँ के जयकारे,
पग पग में ज्योति के नज़ारे,
कदम कदम दरबार शेरों वाली का
सेवक है संसार ज्योतों वाली का ।
करले तू दीदार शेरों वाली का
सेवक है संसार पहाड़ो वाली का ।
देख चढाई रुक नहीं जाना,
जय माता की कहते जाना,
रास्ता है दुश्वार शेरों वाली का
सेवक है संसार लाटां वाली का।
करले तू दीदार शेरों वाली का
सेवक है संसार पहाड़ो वाली का ।
माँ चरणों के मतवालों से,
पूर्ण माँ अपने लालों से,
माँ जैसा है प्यार शेरों वाली का
सेवक बन जा यार पहाड़ों वाली का।
करले तू दीदार शेरों वाली का
सेवक है संसार पहाड़ो वाली का ।
लाखों सोए भाग जगाए,
अपने खज़ाने माँ ने लुटाएं,
पर कम न हुआ भंडार शेरों वाली का
सेवक है संसार ज्योतों वाली का।
करले तू दीदार शेरों वाली का
सेवक है संसार पहाड़ो वाली का ।
भक्तों के दुःख हर लेती माँ,
सब की झोली भर देती माँ,
भक्त है सेवादार शेरों वाली का
सेवक है संसार पहाड़ो वाली का।
करले तू दीदार शेरों वाली का
सेवक है संसार पहाड़ो वाली का ।