वो देखो एक आया जोगी अपना अलख जगाने। कावड़िया के कंधे की कावड़ का बोझ भुलाने।
बोल अलख निरंजन,बोल अलख निरंजन,बोल अलख निरंजन,बोल अलख निरंजन,
पांवों में चाहे पड़ जाए छाले,चाहे थक जाए पांव। अब तो रुकेंगे जब पहुंचेंगे महादेव के गांव।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺गंगा जल अर्पित करने की शपथ है हमने खाई।कांधे पे कावड़ लेके,निकल पड़े हम भाई।
वो देखो एक आया जोगी अपना अलख जगाने। कावड़िया के कंधे की कावड़ का बोझ भुलाने
बोल अलख निरंजन,बोल अलख निरंजन,बोल अलख निरंजन,बोल अलख निरंजन,
हरिद्वार से जल है लिया अब देवघर है जाना।महादेव का प्रण जो लिया वो वचन है अब तो निभाना।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺मन में दर्शन की इच्छा है मुख पर शिव का नाम।जय महादेव की बोलो होंगे सारे पूरे काम।
वो देखो एक आया जोगी अपना अलख जगाने। कावड़िया के कंधे की कावड़ का बोझ भुलाने।
बोल अलख निरंजन,बोल अलख निरंजन,बोल अलख निरंजन,बोल अलख निरंजन,