रणुबाई रणुबाई रथ सिनगारियो तो
को तो दादाजी हम गोरा घर जांवा।
जांवो वाई जावो बाई हम नहीं बरजां
लम्बी सड़क देख्या भागी मती जाजो
उँडो कुओ देख्या पाणी मती पीजो
चिकनी सिल्ला देखी न पाँव मती धरजो।
पराया पुरुष देखनी हसी मती करजो।
गाढ़ो जोती न रणु बाई आया।
यो गोडो कुण छोड़ोवे
गाढ़ो छोज्ञावे ईश्वरजी हो राजा
वे थारी सेवा संभाले
सेवा संभाले माता अगड़ घड़ावे, सासरिये पोचावे।
सासरिये नहीं जाँवा म्हारी माता पिवेरिया में रेवा।
भाई खिलावां भतीजा खिलावां, तो भावज रा गुण गांवा।
रणुबाई रणुबाई रथ सिनगारियो तो
को तो दादाजी हम गोरा घर जांवा।