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Gangor geet khipoli mhari khapa chayi Tara chayi raat,खिपोली म्हारी खापा छाई तारा छाई रात

खिपोली म्हारी खापा छाई तारा छाई रात

खिपोली म्हारी खापा छाई तारा छाई रात। या नगरी नारेला छाई राजा माधव सिंह के प्रताप।

भावजड़ी म्हारी पुता छाई,बीरा के परताप।खिपोली म्हारी खापा छाई तारा छाई रात।

ब्रह्मा दास जी रा ईश्वर दास जी ओ म्हारा घुड़ला घरां ये पहुंचाए।ब्रह्मा दास जी रा कानीराम जी ओ म्हारा घुड़ला घरां ये पहुंचाए।

पुचास्यां ये डावडी थे थारी गोरां का दिन चार।गोरल पूजे ब्राह्मण बनिया राठौड़ा राजपूत। बेटी पूजा राया की ओ बीरा शहर पड़यो रमझोल।

पहर पटोला औढ दुरंगो निसरी ओ बीरा ईशरदास थारी नार।पहर पटोला औढ दुरंगो निसरी ओ बीरा कानीराम थारी नार।

ऊबी रियो साथन्यों ये म्हारी, भावज करे सिंगार। घूम घुमातो घागरो ओ बीरा कड़ियां लटकता केस।

हाथों मेहंदी रच रही ओ बीरा चुड़लारो सर्व सुहा। कोय काजल घुल रहयो ओ बीरा बिंदली रो सर्व सुहाग।

पहर पटोला औढ दुरंगो निसरी ओ बीरा,(लडको के नाम)थारी नार।

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