मारे गरूदेव घर आया सा,
आणन्द हिया अपार ।।
मारे गरूदेव घर आया,
मारे हरदे आणन्द छाया।
मारा भरम करम सब भागा सा,
ऐसी पड़ी सुमार।
मारे गरूदेव घर आया सा,
आणन्द हिया अपार ।।
मारे घर बादल गरणाया,
मारे बिजली जोत सवाया।
मारे आंगण मेहा बरसे सा,
बरसे अमरत धार ।
मारे गरूदेव घर आया सा,
आणन्द हिया अपार ।।
मारे आंगण मोती बरसेे,
मारो देख देख मन हरसे।
मारे हो गया मन का चाया सा,
हो गया बेड़ा पार ।
मारे गरूदेव घर आया सा,
आणन्द हिया अपार ।।
”जीवाराम” यू गावे,
माने गरूदेव मन भावे।
केवटिया बण कर आया जी,
भव जल कर दिया पार ।
मारे गरूदेव घर आया सा,
आणन्द हिया अपार ।।