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gangor geet

Gangor geet gor ye gangor mata khol kiwadi,गौर ए गणगौर माता खोल ए किवाड़ी

गौर ए गणगौर माता खोल ए किवाड़ी

हरिए गोबर गीली दाबो, मोतिया चौक पुराओ। मोतिया का दोय आंखा ल्याओ, निरणी गौर पूजाओं।

गौर ए गणगौर माता खोल ए किवाड़ी
बाहर ऊबी थारी पूजण वाली।


पूजो ए पूजो बाईयां , काई काई मांगों
म्हे मांगा अन्न धन , लाछर लक्ष्मी।


जलहर जामी बाबुल मांगा, राता देई मायड़
कान कंवर सो बीरो मांगा , राई सी भौजाई।


ऊँट चढयो बहनोई मांगा , चूंदड़ वाली बहना
पूस पिछोकड़ फूफो मांगा ,मांडा पौवाण भुवा।


काले घोड़े काको मांगा , बिणजारी सी काकी
कजल्यो सो बहनोई मांगा , गौरा बाई बहना।

बड़े दुमाले भाई मांगा,चंद्रानी सी भाभी। भरयो पूरो परिवार मांगा, चुडला वाली मासी।

ओडो कोड़ो बीरा आंवला रे, राई चरण को राख। ईशरदास गहरा बधावना रे गोरल जायो छ पूत।

कानीराम घारो बीरा घुघरा रे, लाडल माथे मोर। गाजत बाजत बीरा बे गया रे गया बाई रोवा री पोल।

उठ बाई रोवा कर आरतो रे आया माय जाया वीर। भल आया भल आवना रे आयेडा री भगत कराए।

ताता सा मांडी घिव लापसी ये और उड़द की दाल।आओ वीरों थे जिमलयों ये,आंचल धोलांगा बाल।

आंचल रो गुण मानस्यां ये देस्यां महे अगड़ घड़ाय। अगड़ घड़ाओ वीरा भावजा रे हम ने नोसर हार।

बेल बढ़ाओ मेरे बाप की ये ज्यों माली ज्यों दूब। ज्यों कीड़ी ज्यों नाल।


इतरो तो दे म्हाने गोरा ये, इतरों सर्व सुहाग।भल मांगू पीहर सासरो ये भल मांगू सौ परिवार
गौर ए गणगौर माता खोलए किवाड़ी।

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