श्याम तेरी एसी खटक लागी छोड़ घर खाटू में आगी,
मन मर्जी से उठिया करती,
चार टाइम मैं खाया करती ,
ईब भर्ती रेहवण लागी,
छोड़ घर खाटू में आगी,
श्याम तेरी एसी खटक लागी छोड़ घर खाटू में आगी,
न मानु भी मैं ईश्वर ने,
ना जागी कदे ज्योत भी घर में,
ईब तेरी ज्योत जगन लागी
छोड़ घर खाटू में आगी,
श्याम तेरी एसी खटक लागी छोड़ घर खाटू में आगी,
मैंने लोगों की मानी थी तेरा नाम मैं तब जानी थी,
ईब इस लोह चडन लागी छोड़ घर खाटू में आगी,
श्याम तेरी एसी खटक लागी छोड़ घर खाटू में आगी,
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Shyam teri aisi khatak lagi chod ghar khatu me aagi,श्याम तेरी एसी खटक लागी छोड़ घर खाटू में आगी,shyam bhajan
श्याम तेरी एसी खटक लागी छोड़ घर खाटू में आगी,