तर्ज,झिलमिल सितारों का आंगन
जब से सती ने छोड़ा शिव का ठिकाना।
भूल गए भोले बाबा डमरू बजाना।
मेरे पिता ने यज्ञ रचाया, सबको बुलाया पर हमें ना बुलाया।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
जाएंगी जरूर मैने दिल में है ठाना, भूल गए भोले बाबा डमरू बजाना।
जब से सती ने छोड़ा शिव का ठिकाना।
भूल गए भोले बाबा डमरू बजाना।
बिना बुलाए जाते नहीं है।जाते हैं तो मान पाने नहीं हैं।
जाओगी तो पड़े न कहीं पछताना, भूल गए भोले बाबा डमरू बजाना।
जब से सती ने छोड़ा शिव का ठिकाना।
भूल गए भोले बाबा डमरू बजाना।
सब देवों के आसन लगे हैं। मेरे पति का कोई आसन नहीं है, अग्नि में जलूंगी मैने मन में है ठाना, भूल गए भोले बाबा डमरू बजाना।
जब से सती ने छोड़ा शिव का ठिकाना।
भूल गए भोले बाबा डमरू बजाना।
कैलाश पर्वत पे शोर हुआ है। भोले बाबा को बड़ा क्रोध हूवा है।
हुए है वहां जैसे पवन समाना, भूल गए भोले बाबा डमरू बजाना।
जब से सती ने छोड़ा शिव का ठिकाना।
भूल गए भोले बाबा डमरू बजाना।
जहां जहां सती के अंग गिरे हैं।वहां वहां सुंदर भवन बने हैं, चरणों में झुकता है सारा जमाना, भूल गए भोले बाबा डमरू बजाना।
जब से सती ने छोड़ा शिव का ठिकाना।
भूल गए भोले बाबा डमरू बजाना।
नयन गिरे वहां नैना देवी। मन गिरा वहां मनसा देवी।
चिंतपूर्ण का देखो क्या है, नज़ारा। भूल गए भोले बाबा डमरू बजाना।
जब से सती ने छोड़ा शिव का ठिकाना।भूल गए भोले बाबा डमरू बजाना।