तर्ज तुझे सूरज कहूं या चंदा
तुम पग पग पर समझाते, हम फिर भी समझ न पाते।ये कैसा दोष हमारा,हम गलती करते जाते।
नादानी जी को जलाये, व्याकुलता बढ़ती जाये,
बैरी मोहन मन मेरा, मुझे क्या क्या रंग दिखाये,
रंगो के रंगमहल मे, हमे नित नये सपने आते ॥ये कैसा दोष हमारा,हम गलती करते जाते।🌺🌺तुम पग पग पर समझाते, हम फिर भी समझ न पाते।ये कैसा दोष हमारा,हम गलती करते जाते।
प्रभु निश्चय अटल बना दे, विश्वास का रंग चढा दे,गुण गाऊंगा मै तेरा, मेरे सारे दोष मिटा दे ,
निर्बलता से मै हारा, मुझे क्यो न सबल बनाते ॥ये कैसा दोष हमारा,हम गलती करते जाते।🌺तुम पग पग पर समझाते, हम फिर भी समझ न पाते।ये कैसा दोष हमारा,हम गलती करते जाते।
प्रभु हार गया अब आओ, मुझे आकार सबल बनाओ ,दामन असुवन से भींगा, नंदू यु न अजमाओ।ये कैसा दोष हमारा,हम गलती करते जाते।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺तुम पग पग पर समझाते, हम फिर भी समझ न पाते।ये कैसा दोष हमारा,हम गलती करते जाते।